Wo is raah se bhi guzrenge ek din yahi umeed liye din raat intzaar kiya karti hu Janti hu mai unki manzil nahi par aj bhi koshishe beshumaar kiya karti hu❣
रोज तेरे दीदार की चाहत है तेरे इंतजार में भी राहत है कैसे तोड़ दू इस दिल को इसमें जो रहती है ना वो एक खूबसूरत शायर है उसकी लिखावट के कायल है अब किसी और की हमें चाह नहीं मेरा दिल तो बस उसी के लिए पागल
एक बार मुझे रोक लेती तो मैं रूक भी जाता पर तुमने ऐसा चाहा नहीं शायद वो प्यार नहीं रहा वो एहसास नहीं रहा एक आस में जी रहा हूं में क्या हम फिर से मिलेंगे या फिर में इसी आस को दफन कर दूं
Dekh Dekh ke mujko yun Sharmaya Na Kar Pass aau jo tere tu Ghabraya Na Kar Na kare tu Izhaar kyu rahe tera Intzaar Bas kar ab Sapno me mere Takraya Na Kar