पता नही ये दिल क्या चाहता है ...
सुकू से बैठ छाव में ...धूप से इकरार चाहता है !
कैसी है ये लापरवाही ...मेरे दिल !!
हर गम से रह के परे ...तू इश्क कि इंतहा चाहता है ??
जाना नही शायद अभी ,,, तुने चाहत के उसुलो को ...
तभी तो जंग- ए -मोहब्बत में ... तू दोनो कि जीत चाहता है !!!
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