बिखरी लटों को,भाल से थोड़ा तुम,, सम्हाल लेना यादों में,,झुकी पलकों में थोड़ा, काजल लगा लेना शांत,स्तब्ध से अधरों पर मीठी सी,, नमी ले आना आऊंगा,, मैं जल्द मिलने तुमसे,होते दिल के रास्ते मनमोहक, मुखमंडल पर मिलन, मुस्कान ले आना
कट गई रात उसकी बाहों मैं हमें सुबह का इंतेज़ार ना था
हो जाए वो हमसे जुदा पल भर के लिए भी ये इस दिल को कभी मंज़ूर ना था
सोया था मैं ना जाने कितने मुद्दत्तों से आँखे खुली तो खुद को उसकी बाहों मैं पाया था .........................! / / / कह दिया हमने उस खुदा से के ए खुदा भूल जा तूने हम दो जिस्मों को बनाया था