मुझसे दूर जाने का उन्हें कभी मलाल ना रहा !
फकत हाल-ए-दिल तबाह था मेरा ख्याल ना रहा !
एक खालिश थी दिल में कुछ पूछने की उनसे
यूं बेजुबां कर दिया कि कोई सवाल ना रहा !
बुझने लगे हैं इस कल्ब में चाहत के सब दिए
जब से गए दिल ओ निगाह में उजाल ना रहा !
रिश्तो पर लगी चोट ने छोड़े हैं खूब निशां
ओहदा मेरे वजूद का तब से बहाल ना रहा !
क्यों फरियाद अब यहां कोई सुनता नहीं 'कवित'!
शायद हर्फ में दिल छू जाने का अब कमाल ना रहा !
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