मत पूछ मेरी खामोशियों का राज क्या है। जान के क्या करेगी मेरी बात क्या है। तू रजा मंदी से जिये मेरे ख्वाब क्या है। मैं तो उड़ता परिंदा हूं मेरा मजा क्या है। आज तक तू बता न पाई मोहब्बत की सजा क्या है। उड़ते थे जब सबेरे समंदर के किनारे....... उस दिन और आज में वो बला क्या है। दो यदो को जोड़ने का फिर जुगाड क्या है। बता दें मेरे मालिक तेरी दुआ क्या है वो लौट आए फिर से उनकी ख़पा क्या है। इतना ना दर्द दे कि मेरी जान का क्या है। जुगाड की दुनिया है मेरे प्यार का क्या है। आते हैं सबेरे फिर जाना शाम का क्या है।
दिल तो अब भी उसके दिए ज़ख्मों से ही भरा है, मग़र अभी भी मेरेदिल में हसरत है चोट खाने की, उसे पाने की चाहत है या नहीं, ये मुझे पता नहीं है, मग़र मेरी तमन्ना है, उसकी फुरक़त में तड़पने की।
दिल की ये हालत मुँह से ब्याँ नही होती, ये वो जज़्बा है,जो आँखों से ब्याँ होता है, दिल की वो तस्वीर, जो चाहत बनाती है, वो आँखों ही आँखों में फ़नाह हो जाती है।
भूलाने से भी न भूले तेरी-मेरी इश्क़ की कहानी है, तड़पता है दिल तुझे याद करके रात-दिन ये टुटा दिल तेरी दी हुई निशानी है, रहती थी कभी होठों पे मुस्कान अब आँखों से बहती पानी है, पास थे तुम तो हसीं थे हर लम्हें बिन तुम्हारे अब तन्हा तन्हा ये जिंदगानी है।