जिस प्रकार माँ गंगा की गोद से निकाला गया एक कमण्डल जल भी अपने आप में गंगा के समान ही सम्पूर्ण होता है, उस निकाले गए गंगाजल का महात्यम भी बहती गंगा के समान ही होता है! दोनों के दोनों पूर्ण और पाक!
ठीक उसी प्रकार ये रचना एक कभी न खत्म होने वाली कहानी, का एक बहुत ही छोटा सा अंश है! और कहानी के इस छोटे से हिस्से में भी पूर्णता लगेगी आपको! ये एक बड़ी कहानी के बीच से उठाया गया छोटा सा अंश जरूर है पर कहीं से भी अधूरी नहीं लगेगी आपको..!
उम्मीद है इसे पढ़ने के बाद आपसब भी मेरी बात से सहमत होंगे!🙏🏻 कुछ भी हो अपना राय एवं सुझाव अवश्य दीजिएगा🌸 धन्यवाद!!🙂