कर रही हो जो ये शरारत,कहीं महंगी ना पड़ जाए
तुम्हें चूमने के चक्कर में,
मेरे होठों और जुबान में कहीं जंग ना छिड़ जाए
अगर ये जंग छिड़ गई,
तो इसका खामियाजा तुम्हें ही भुगतना होगा
मेरे होठों के साथ-साथ,
तुम्हें मेरी जुबान को भी खुश करना होगा
अगर होंठों से होंठ सट गए,
तो तेरी बोलती बंद हो जाएगी
तुझे कुछ समझ में आए,इसके पहले ही,
मेरी जुबान तेरे जिस्म के हर एक हिस्से को छू जाएगी
तेरे संग-ए-मरमर से जिस्म पर,
मेरी जुबान कारीगिरी करती नजर आएगी
तेरे बदन के हर एक हिस्से पर,मेरी याद छोड़ती चली जाएगी
छूते ही तुम्हारे जिस्म को,मेरी उंगलियां धड़क उठेंगी,
दबी है जो तुम्हारे सीने में औरत नाम की चिंगारी,
वो शोला बनके धधक उठेगी
फिर चाह कर भी मुझे रोक नहीं पाओगी,
अगले ही पल मुझे,
तुम्हारे भीतर दाखिल होते हुए,महसूस कर पाओगी
ना हंस पाओगी,ना रो पाओगी,
ना सेह पाओगी,ना कह पाओगी
उस मीठे से दर्द में कहीं खो जाओगी
मगर ये सब करने से पहले
तुम मेरी GF से मेरी Wife हो जाओगी
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