दगा देना इश्क़ की नही,
इंसानी फ़ितरत में शुमार है,
रहा जिसका ना कोई कसूर,
वो बेचारा दिल से बीमार है।
समझदारी से प्यार करने की नसीहत देते हैं लोग,
जबकि ये मोहब्बत नादानियों की भरमार है।
अपने हितों को साधने में,लोग मुकर रहे है यहाँ,
और अजीब बात ये है कि,साला इश्क़ ही बदनाम है।
पूछो जरा जाकर उन बेवफ़ाई के क़द्रदानों से,
वफ़ा तो रास ना आई उन्हें,क्या अब वो आबाद है।
होश में आओ और सवाल करो अपनी नीयत से,
गलती इंसानी होती है फिर क्यों ये इश्क़ बदनाम है?
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