मुकुट हिमालय भाल पर,गंगा-यमुना हार।
चरण कमल को सर्वदा, सागर रहा पखार।।
स्वयं प्रकृति जिसका सदा, करती है श्रृंगार।
ऊषा-संध्या सर्वदा, देते तिलक लिलार।।
चंदा-सूरज आरती, करते साँझ विहान।
खगकुल प्रमुदित सर्वदा, करता कीर्ति बखान।।
माटी है जिस देश की,चंदन और अबीर।
शस्य श्यामला धरा शुचि, भारत की तस्वीर।।
हिंदू मुस्लिम सिक्ख सब, भारत की संतान।
प्राणों से प्यारा हमें, भारत देश महान।।
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