मेरे हर दुख में दुखी होती है,
मेरे हर सुख में सुखी होती है,
डाटती है मां की तरह,
वो हर दुआओ में,
मेरे कामयाबी के मोती पिरोती है।
मेरे लिए लड़ती भी है,
मुझसे झगड़ती भी है,
स्नेह है उसका माँ जैसा,
वो हर मंजर में,
मेरे साथ हमेशा होती है।
मेरी निराशा में भी आस है वो,
कुछ इस कदर खास है वो,
जिसे शब्दों में ना पिरोया जा सके,
माँ के बाद स्नेह का दूसरा अहसास है वो।
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