मंजिल दुर खड़ी कर रही इंतजार ,
हम भी करेंगे एतबार ,
जब मिलेगी सफलता का घूंघट ओढ़े बार बार !
पता नहीं उसे किस बात की जल्दी है ,
बार बार कहीं और चलती है !
एक बार चल दो तुम मेरी ओर ,
भटकने नहीं दूँगा तुझे फिर कही और !
बना कर पर्याय मेरा ,
दूँगा नाम तुझे कोई और ,
हर तरफ होगा यही एक शौर ,
मंजिल ने पाया है आज नाम कोई और ....
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