ट्रांसजेंडर्स
माना थोड़ा अलग सा हूं मैं।
लेकिन इंसान तुम्हरे जैसा ही हूं मैं।
ना जाने कितने नामों से बुलाया गया हूं मैं।
ना जाने कितनी ही बार सताया गया हूं मैं।
मतलब से भरी इस दुनिया में,
हर जगह से ठुकराया गया हूं मैं।
अपने ही घर से निकाला गया हूं मैं।
दिल में जो मेरे दर्द हैं,कैसे बयान करू मैं?
हर एक अधिकार वंचित रखा गया हूं, मैं।
पढ़ नहीं सकते,नौकरी हम कर नहीं सकते।
अधिकार दिए नहीं ,तो सवाल क्यों है?
सवाल हैं,तो तुम्हारे पास जवाब क्यों नहीं है?
हर जुल्म और सितम क्या सिर्फ हमारे लिए ही है।
मां की लोरी की थाप,बाबा की प्यार की छाया,पैदा होते ही छीन ली जाती है।
तुम्हारे जैसे ही ,उस खुदा ने बनाया है मुझे।
माना थोड़ा अलग सा हूं,लेकिन इंसान तो बनाया है मुझे।
ना जाने कितनी पीड़ा ,कितने दर्द है,मेरे।
ना जाने कितनी अनकही संवेदनाएं है,पास मेरे।
जो कोई सुनता नहीं, तुम्हारे जैसे मेरा हाथ पकड़ के कोई चलता नहीं।
कुछ कर नहीं सकते ,लड़ नहीं सकते है हम ।
तुम्हारे जैसी ज़िन्दगी खुल कर जी नहीं सकते है हम।
फिर भी तुम मेरा दिल क्यों दुखाते हो??
थोड़ा अपने अंदर तुम झाको ,इंसान की जान की कीमत तुम पहचानो।
क्यूंकि इंसान तुम्हारे जैसा ही हूं मैं,बस थोड़ा अलग सा हूं मैं।
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