ख़बर को भी ख़बर ना हुई हम इस कदर ख़बर हो गए
ओरों कि कदर कर के खुद के लिए ही बे-कदर हो गए
जिनकी कभी हम जिंदगी थे वो महसूस भी नही करते
उनके लिए हम जैसे कोई अब एक जिन्दा कब्र हो गए
जो हमारें कदम से कदम मिला के मंजिल को पाने चलें
अब हम उनके लिए जैसे कोई छूटा हुआ सफ़र हो गए
जो कहतें थे मेरे रोने से उन्हें भी बड़ी तकलीफ होती है
अब उनके लिए हमारें ये सारे दर्द जख़्म बेअसर हो गये
वो जो महबूब कहकर हमे अपनी ही नजरों में रखतें थे
अब हम उन्ही के लिए हर पहर को जैसे बेनज़र हो गए
मंजिल के मिलतें ही जिन्होंने हमार ये हाथ छोड़ दिया
अब हम उनके लिए जैसे कोई साथी नही ग़दर हो गए
ख़बर को भी ख़बर ना हुई हम इस कदर ख़बर हो गए
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