जब हम देहरी पे एक दिया जलाने निकले,
चाँद की चाँदनी में सूरज की तपिश मिटाने निकले,
टिमटिमाते तारों की रोशनी से एक पल नहाने निकले,
नकारात्मक तंतुओं पे विजय पाने निकले,
एकजुटता का प्रमाण दिलाने निकले,
हाँ हम रोशनी बुझा रोशनी ही आज़माने निकले,
देशहित में एक अदना सा हाथ बढ़ाने निकले,
बात नियत की है दीपक की नहीं ये बताने निकले,
जब हम देहरी पे एक दिया जलाने निकले!
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