अफ़सोस हमारे इस अनूठे बंधन का अंत होगा, वृद्धावस्था में चारपाई पर लेटे लेटे मेरी कवितायें फूल बनकर तुम्हारे गालों पर गिरेंगी, तुम्हारी आँखों के आंगन में झूलते रहेंगे मेरे मन्नती धागे// तुम्हारे पास सारे प्रश्नों के उत्तर होंगे मगर सुनने के लिए मैं नहीं तुमको पल पल लगेगा मैं पास हूँ लेकिन फिर धुंध बढ़ जाएगी और सब ओझल हो जाएगा पहले की तरह.. एकदम खामोश..— % &
Hum Apni Zindgi Kabi Jee Nahi Pate, Bachpan Pdhai Main Gujar Jati Hain. Aur Jawani Chali Jati Hain Nokri Main, Dekhte Hi Dekhte Budhapa Aa Jata Hain Or, Hum Baithe Rah Jate Hain Kisi Jhopri Main.