" मैं इतनी सुंदर तो नही,पर क्या करूं"
मैं वेदिका,तू आशनी
मैं हासिनी तू चाशनी
तू करिश्मा, मैं आत्मिका
तू भौतिक अप्सरा और मैं आध्यात्मिक मायरा।।
तेरा तर्ज़ कैरवि मेरा तर्ज़ उज्जवला
फतह की डगर पर अंतस् कुछ यूं चला
मानो तेरा सम्मन फाल्गुनी,मेरा सम्मन ओजस्विनी
मेघों के वन में हम दोनों ने यही राह चुनी
तू भौतिक अप्सरा बनी और मैं आध्यात्मिक मायरा बनी।।
- चित्रा द्विवेदी-
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