कि दौर ए गम से गुजर रहा हूं मैं
जरा आकर थोड़ा सहारा दो मुझे..!!
ना जानें किस कस्ती का मुसाफिर हूं मैं
इसलिए आकर जरा सा किनारा दो मुझे..!!
इस घोर तनहाई में कई बार मरा हूं मैं
तो तुम आकर ज़िंदगी दोबारा दो मुझे..!!
सुनता तो बहुत कुछ हूं इस जहां में मैं
तो कुछ ऐसा सुनाओ जो गवारा हो मुझे..!!
और न तो दर्द है न ही आराम है मुझे
तो आओ मेरी जान,सीने से लगा लो मुझे..!!
बाहों में लेकर,मुझको गम से रिहा कर दे
न चाहिए खुशियां न ज़िंदगी बस कुछ
देर ऐसे ही खुद के पास रहने दो मुझे..!!
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