वो जमानेभर में मशहूर है हम पर भी उसका करम है, हमे कोई फन नही आता शायद उनको ये भरम है। वो अहले-मसनद है तकरीरों से लाशें बिछाते है, हम ठहरे आम जनता अपना तो अमन ही धरम है।
खुद की मुसीबतों पर जिसने भी फतह पाई है, यहां वो हर इंसान यकीनन थोड़ा हरजाई है। मुसीबत जिसने भी गैरों की कुछ हल की है, उस शख्सियत को ही ये दुनिया जान पाई है। कमाया बहुत है यहां हर एक शख्स ने 'कुमार' पर कुछ की ही सांसे भी दुनिया के काम आई है।
शब्दो के बाण ना छोड़ो तलवार से ही वार कर दो, तीर सहे नही जाते दिल को ही तार तार कर दो। तुमने ही कई बार बचाया था दुश्मनों से मेरे सर को, मेरे सर को धड़ से जुदा तुम ही इस बार कर दो।