जब तू तैयार ही नहीं तो आईना कैसे दिखाऊं
गमों को छोड़कर मुकम्मल जहां कैसे बनाऊं
दूर जाने की बात से बहुत करीब आ गया है तू मेरे
बस समझ में ये नहीं आता कि मैं तेरे करीब कैसे आऊं
जो दिल को कुरेद कर निकल रहे हैं आंसू
उन आंसुओं से नया सजर कैसे बनाऊं
मुनासिब ये होगा अब मेरे लिए ग़ालिब
कहीं दूर जाकर मैं भी मिट्टी में हो जाऊं꫰
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