दीवानी थी,
जो तुम्हारे इंतजार में हर एक पल बेचैन रहती थी।
लेकिन सच पूछो तो,
तुम्हारे इंतज़ार करने की आदत,
अब मुझे तुमसे ज़्यादा मीठी लगने लगी है।
दिन भर यूं ही सोचना ,कि
वह क्या आलम होगा, जब हम वापस मिलेंगे?
क्या वह प्यार तुम्हारी आंखों में होगा?
या फिर, दूरियों का कुछ साया
हमारे रिश्ते पर छाया होगा?
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