धरती भी अब झुलस के बोले, बस कर दे इन्सान, अपनी माता का आज तू कर ले, थोड़ा सा सम्मान, ऐसा न हो बह निकलें, उसके आँसू बन करके ज्वार, अपने पतन का मंथन कर ले, फिर कर लेना व्यापार, जिस मिट्टी से जीवन मिलता, दे उसको जीवन का दान।
-
Fetching #sutainabledevelopment Quotes
Seems there are no posts with this hashtag. Come back a little later and find out.