ख़्यालो में हो पर इंतज़ार में नहीं
इश्क़ किया हमने पर बेज़ार नहीं
मुहब्बत क्या है तुम क्या जानों
वाकिफ हो तुम पर वफादार नहीं
टूटा है इश्क़ तुम्हारा समझदार नहीं
जिसकी चाहत तो थी,अब दरकार नहीं
किस्सो में सिख लिया इश्क़ तुमने
तालीम-ए-इल्म है, इश्क़ के हकदार नहीं
बेहिसाब है इश्क़ का हिसाब हमारा
अाजमाईश कर दे तो वो प्यार नहीं..
-