"चमकी बुखार-उजड़ती कोख़"
चित्कारते बच्चे,
बदहवास माँ-बाप,
मौत दे रही पल पल दस्तक,
किसको करें फ़रियाद ?
कलेजे के टुकड़ो को
छाती से चिपकाये,
अंतिम सांस का इंतजार,
बुझते नन्हें दीप,
मौत का अट्टहास ।
हृदयविदारक ,
अंतर्मन उद्वेलित,
फिर कैसा सुशासन ?
नाकाम-नालायक बिहार सरकार,
धिक्कार ! तुझे धिक्कार ।
चाँद और मंगल पर,
विजय के सपने पाले,
खो रहे नित,
अनगिनत आँखों के तारे ,
धिक्कार! तुझे भारत सरकार ।
(कैलाश राठी, गुवाहाटी)
22.06.2019
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