अनंत आनंद , उमंग-हर्ष भरा उत्सव
शुभ-मंगल-शुभ पावन त्योहार दशहरा ,,
क्षमा ,,दया,,स्नेह की मूरत माता वैष्णवी
की दिव्य आभा से दीप्तमान है जग सारा ।
भक्तजन के जीवन का आधार है माता
सबकी मुरादें पूरी करती माँ मेरी कुण्डासना,,
सबकी झोली खुशियों से भरनेवाली माता
जन-जन का कल्याण करती माँ मेरी सुबाणा ।
रिपु ,दानव-दल , बुरी शक्तियों को
अपनी प्रचण्ड-प्रबल शक्ति से कर देती स्वाहा ,,,
हे , जगतजननी रक्षक है तू संपूर्ण-सृष्टि की
सारी शक्ति तुझमें विद्यमान है,,हे माँ स्वधा ।
संपूर्ण जग में अनगिनत हिंसक बुराईयाँ
सरेआम मचा रही है दहशत का तांडव ,,
खौफ का मंजर दिन-ब-दिन फैल रहा
इन्सानी लबादा ओढ़े असुर बने हुए हैं भक्षक ।
शतबाहु , वज्रायुधा , हे मां खड्गधारिणी
सारे दुर्गुण, सारी बुराईयों का संहार करो माँ ,,
दहशत का नामोनिशान ना हो जग में
सुखमय-खुशहाल जीवन का संचार करो माँ ।
हे माँ , ब्राह्मी तेरे चरण - रज तले स्वर्ग बसे
तेरे आशीर्वाद से खुशियाँ ही खुशियाँ बरसे ,,
सबके अधरों पर मुस्कान बिखेरने वाली माता
तेरे दर पर हमेशा सुख-समृद्धि का अमृत-कलश छलके ।
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