Supriya Sinha  
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Joined 17 February 2017


Joined 17 February 2017
1 JAN 2023 AT 10:57

अमृततरंगिणी यामिनी के अंक में
मीठे ख्वाबों का नव अंकुर बोते हैं,,
खुशियों की छलकती मदिरा में
चलो नए साल का जश्न मनाते हैं ।
अनमोल क्षण के नए पड़ाव पर
खुद से एक अटूट वादा करते हैं,,
लक्ष्य के डगर पर अपने हौसले से
नामुमकिन को मुमकिन करते हैं,,
चलो नए साल का जश्न मनाते हैं।
आशाओं की देहरी पर उम्मीद भरा
नवसंकल्प का दीप जलाते हैं,,
सारी कड़वी यादों को भुलाकर
नए अभ्युदय का आगाज करते हैं,,
चलो नववर्ष का जश्न मनाते हैं।
हर लम्हे में छाई रहे उमंग -लहरी
लबों पर नायाब मुस्कान संजोते हैं,,
सुख-दुख के ऊहापोह में बेफिक्र होकर
सुखद-सरस-सुकून को गले लगाते हैं ।
चलो नए साल का जश्न मनाते हैं।

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24 OCT 2022 AT 14:35

शीर्षक -ज्योति-पर्व का उत्सव
उत्साह,, उमंग की दहलीज पर
हे ! माँ वरलक्ष्मी हो तेरा आगमन ,,
शुभ-स्वागतम् हे ! माता तेरी
शत्-शत् बार है तुझे नमन ।
घर मेरे आज विराजो माँ लक्ष्मी
रिद्धि-सिद्धि-समृद्धि की सौगात लेकर,
करो सार्थक मेरी अराधना हे,माँ अनघा
शुभाशीष की असीम कृपा देकर ।
दीवारों पर सज रही अद्भुत अल्पना
घर-प्राँगण को सुशोभित कर रही रँगोलियाँ ,,
मना रहे सभी ज्योति-पर्व का उत्सव
सतरंगी आभा बिखेड़ रही फुलझड़ियाँ ।
दीपमालिका की अनुपम जगमगाहट से
रोशन हो उठा है धरा-गगन,औ पूरा जहाँ
हर्षित है,, आह्लादित है जन-जन का हृदय
स्वजन-स्नेही आपस में बाँट रहे खुशियाँ ।

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14 SEP 2022 AT 15:01

नैतिकता , नमित - आदर्श , हमारी - संस्कृति
में सुसभ्य-संस्कार की गरिमा को सँवारती हिंदी ,
निरक्षर से लेकर साक्षर ,, मानव - समाज तक
सबकी वाणी में सहजता से उच्चारित होती हिंदी ।
तुलसी , मीराबाई , और रसखान की भक्ति में
झलकती अनुपम अलंकार से सुसज्जित हिंदी ,,
कलम के सिपाही मुंशी प्रेमचंद की लेखनी से
सुशोभित होती आशाओं से परिपूर्ण हिंदी ।

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18 MAR 2022 AT 16:20

रंग-ए-उमंग की रंग-बिरंगी पिचकारी से
सबपर बरसे खुशियों की बौछार अनंत,,
पीली-पीली सरसों के मंजुल फूलों संग
मदमस्त होकर झूम रहे ऋतुराज बसंत ।
पुआ-पकवान की मीठी-मीठी खुशबू
गूँज रहे चहुंओर होली-गीत-मल्हार ,,
बज रहे ढोल-मंजीरे और झाँझर
दिलों में उमड़ रहे हर्ष -उमंग अपार ।

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18 MAR 2022 AT 16:11

रंगों के रंगीले चितवन पर
अचपल कृष्णा करे ठिठोली ,,,
थी जो चुनरिया कोरी-कोरी
भिंगो दी कान्हा ने सबकी चोली ।
खिले-खिले रंग-ए-गुलशन में
खुशियों से झूम उठा तन और मन ,,
फागुन के रंगीले तरण -ताल में
हो गया अंग -वरण-वरण ।

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18 MAR 2022 AT 16:00


फाग के मधु -आकंठ में डूबी
सजीली-तरुणी हुई अति -बावरी ,
नस-नस रंगी अपने पिया के प्रीत में
प्रेम रस में भींगी गोरी की चुनरी ।

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8 MAR 2022 AT 16:51

शीर्षक - हाँ मैं नारी हूँ
हाँ ,, मैं नारी हूँ
मैं ही शक्ति , मैं ही देवी
मैं ही अग्रजा ,, मैं ही नंदिनी
मैं ही जननी , मैं ही सृष्टि सृजनकारी
हाँ ,, मैं ‌नारी हूँ ।
अहिल्या के रूप में तिरस्कृत भी मैं
मंदिर में मां दुर्गा के रूप में पूजिता भी मैं ,,
उर्मिला की तरह फर्ज भी निभाती मैं
सीता की तरह वनवास का दर्द भी सहती मैं ।
हाँ ,, मैं नारी हूँ ।
सृष्टि धात्री की संज्ञा से विभूषित मैं
पर, हर रोज भ्रूणहत्या की बलि भी चढ़ती मैं ,,
दो कुल का मान बढ़ाती मैं ,,पर दहेज
के लिए नित्य अग्नि में स्वाहा भी होती मैं ।
हाँ ,, मैं‌ नारी हूँ ।
हर रूप,,हर परिस्थिति में जीती हूँ मैं
हर साँचे में ढल जाती हूँ मैं ,,
हर पल टूटती हूँ ,,बिखड़ती भी मैं
फिर भी ,, जीने की जिजीविषा को
अपने अस्तित्व से जुदा नहीं करती मैं ।
हाँ ,, मैं नारी हूँ।

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8 MAR 2022 AT 16:31

सीमन्तिनी उठो ...जागो
अभी बहुत दूर सफर तय करना है ।
समाज में व्याप्त कलुषित लैंगिक भेदभाव की दोहरी नीति, लुट रही नारी की अस्मत,डर के साए में कैद स्त्री की नियति
तुम वीरांगना, तुम देवशी, तुम सृष्टि सृजन की दृढ़ हस्ती
समाज के इस कुत्सित मानसिकता को मिटाकर
अपने बुलंद हौसले से नए समाज का निर्माण करना होगा,,
सीमन्तिनी उठो ...जागो
अभी बहुत दूर सफर तय करना है ।

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1 JAN 2022 AT 6:13

समारंभ हुआ शुभ-नूतन-वर्ष का ,,
नव आशाओं की देहरी पर
जीवन हो सुखमय उत्कर्ष भरा ।
नव उमंग ,, नव तरंग से
पुलकित हो रही संपूर्ण - सृष्टि ,,
आह्लादित है मन का कोना-कोना
छलक उठी है मधु-कलश की गगरी ।

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4 NOV 2021 AT 8:08

सब मिलकर झिलमिल-झिलमिल
पावन दीपोत्सव का त्योहार मनाएँ ,,
सारे ईर्ष्या-द्वेष को दूर भगाकर
नेह एवं खुशियों की सौगात बाँटें ।
दीवाली की पावन-शुभ-बेला पर
सबके घर सुख-सौभाग्य का दस्तक हो,,
रहे ना कोई सुख से वंचित
सबके ऊपर माता लक्ष्मी का आशीर्वाद हो ।
मन में ना हो कोई गिले-शिकवे
ना कोई नफरत , झूठ पले ,,
हिय के तम पर हमेशा
सच्चाई और प्रेम का दीप जले ।

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