Shyamvir singh jhajhoria   (Shyamvir Singh Jhajhoria)
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Joined 14 January 2018


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Joined 14 January 2018
30 JAN 2023 AT 20:37

शराफ़त की दुनिया किधर है, नज़र नहीं आती हमको
दिल में मोहब्बत,आँखों में शर्म नज़र नहीं आती हमको

काम का हूँ , तो लोग पुकार लेते हैं कभी-कभी मुझको
कोई सिर्फ़ अच्छा है तो, ज़रूरत नज़र नहीं आती हमको

वो जो एक शख़्स है, सबको अपना-अपना सा लगता है
पर ऐसा भी नहीं ,उसकी असलियत नज़र नहीं आती हमको

सिर्फ़ मोहब्बत कर, उसके मुकम्मल होने की शर्त न रख
चाँद की चाँदनी सिर्फ़ एक पर हो, नज़र नहीं आती हमको

फिर उसने कहा , एक बार और आज़माओ हमको प्यार में
मगर प्यार में, आज़माइश की ज़रूरत नज़र नहीं आती हमको

पीछे पड़ा है, ज़िद पर अड़ा है, मिलने को बेक़रार है हमसे
पर ख़ुद में ऐसी कोई ख़ास बात तो, नज़र नहीं आती हमको

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17 JAN 2023 AT 17:33

मुझ से राब्ता रखने में , आख़िर क्या ही मिलता उसे
मेरे पास प्यास थी और उसको दरिया की तलाश थी

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10 JUN 2022 AT 23:06

वो अपनी मर्ज़ी से मिलते हैं, अपनी मर्ज़ी से प्यार करते हैं
एक हम हैं जो कई वर्षों से यही भूल गए, मर्ज़ी क्या होती है

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4 JUN 2022 AT 14:10

लोगों के पीछे जाओ तो वो भागते हैं
जबकि आपसे मिलना उनको सपना लगता था एक समय पर

बिलकुल उस तरह से है
जब बंदर के पीछे भागो तो बंदर भागता है
आप भागो तो बंदर आपके पीछे भागता है

जीवन में भी लोग इसी तरह रीऐक्ट करते हैं
आप चाहकर भी बच नहीं सकते

बेहतर है संतुलन स्थापित करना, न ज़्यादा पीछे जाओ
न ज़्यादा पीछे किसी को लगाओ

मगर इश्क़ के मारे लोग इससे बच नहीं सकते !

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4 JUN 2022 AT 2:10

तुम अचानक कहाँ से आ गई हो
तुम मेरे ख़्यालों में क्यों आ गई हो

चंद बातें तो करना चाहता था तुमसे
मगर कहानियाँ लेकर क्यों आ गई हो

बुलाना चाहता था मुलाक़ात के लिए,पर
तुम तो ज़िंदगी बनकर क्यों आ गई हो

आसमान पर कहो तो तुम्हारा नाम लिखूँ
तुम उँगलियों पर स्याही बनकर आ गई हो

मिलना है तुमसे, मगर मिल नहीं पा रहा
अरे, क्यों तुम आफ़त बनकर आ गई हो


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4 JUN 2022 AT 1:49

स्वप्न मर कर भी ज़िंदा हैं
हम ज़िंदा हैं पर मुर्दा हैं
कोई कैसे जीए यहाँ
हर पहलू में दो पहलू हैं

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4 JUL 2021 AT 19:17

लगातार एक गुनाह किए जा रहा हूं मैं
दरकिनार होते हुए भी दर पर रहा हूं मैं

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16 APR 2021 AT 21:57

तुम्हें देखने को जी चाहता है
कुछ सुनाने को जी चाहता है
पास तो हो कहीं तुम मेरे यहीं
बस छूने को तुम्हें जी चाहता है

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16 APR 2021 AT 10:13

जैसे ही थोड़ा समय मिलता है मुझको, इश्क़ इश्क़ हो जाता हूं
इश्क़ करता हूं, इश्क़ पढ़ता हूं, इश्क़ सुनता हूं, इश्क़ बोलता हूं

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15 APR 2021 AT 9:38

मुझ से दूर होते वक्त तुम्हारी आंखों में जो मोती उतर आए
वो मेरी ज़िंदगी की सबसे बड़ी कमाई और कामयाबी है

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