18 JUL 2018 AT 0:14

काफ़िला नही थी ये ज़िन्दगी,
जो हर राह हर मोड़ पर,
तुम अपनी राहें बदलते गए,
हम चलते रहे अपनी धुन में,
क्या करते हम तुम्हारे साथ,
चलना जो मुनासिब नही था।।

- ©श्री