काफ़िला नही थी ये ज़िन्दगी,जो हर राह हर मोड़ पर,तुम अपनी राहें बदलते गए,हम चलते रहे अपनी धुन में,क्या करते हम तुम्हारे साथ,चलना जो मुनासिब नही था।। - ©श्री
काफ़िला नही थी ये ज़िन्दगी,जो हर राह हर मोड़ पर,तुम अपनी राहें बदलते गए,हम चलते रहे अपनी धुन में,क्या करते हम तुम्हारे साथ,चलना जो मुनासिब नही था।।
- ©श्री