Shivang Srivastava   (शिवांग)
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Persuing B.tech. at KNIT Sultanpur
Part time writer!☺️
विचारशून्यता की ओर!
Joined 17 April 2018


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विचारशून्यता की ओर!
Joined 17 April 2018
5 JUN 2020 AT 20:11

आंखों के करीब है जो मंजर, वो भी दूर जाएगा
समंदर पार जाने वाला भी उसमें डूब जाएगा!

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15 MAY 2020 AT 9:36

लहू न मिला खुद के लहू से, मैं खुद को खुद का नहीं, गैर मानता हूँ
रहने दे तेरी पलकों के साये में, मैं कौन सा तुझसे बैर मानता हूं!

मुसलसल वक़्त ही नहीं था मेरे पास, अब हर वक़्त यही वक़्त सुनाता हूँ
जाने दो उसे, चला गया है वो, पर उसने कहा था, अभी आता हूँ!

छाले पांव में थे, इश्क़ दिल मे था, इनका चलता है ये नजर नहीं आये
मैं क्या सवाल करूँ 'हुजूर' तुमसे, सब ठीक है, अच्छा जाता हूँ!

इतना भी फिक्र नहीं अब मुझको, कि हाल-ए-दिल जान सकूँ खुदका
मुझसे कोई क्या दिल लगाएगा, शतरंज के खेल में मैं हार जाता हूँ!

कोई गिरे यहां तो कोई उठ जाए, इतना भला कोई कैसे गिर जाए
बुलंदियों तक जाने का मन है, बस रास्ता देखता हूँ और लौट जाता हूँ!

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30 APR 2020 AT 1:40

टूटो तो फिर इस क़दर
कोई जैसे तारा टूटे
छूटो तो फिर ऐसे
कोई जैसे प्यारा छूटे
रूठो तो ऐसे मानो
कोई जैसे मीत रूठे
कभी फूटे दिल में
तो जैसे अंगार फूटे
मुख से निकसे जब तब
धनु से जैसे बाण छूटे
अबके छूटे तो फिर
''हाथों से जैसे हाथ छूटे''
'हम' टूटे हैं फिर ऐसे
मद में जैसे प्याला टूटे!

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3 APR 2020 AT 10:06


"प्राण देना सरल काम है किन्तु अपने प्रेमी के लिए कभी कभी जीना कठिन होता है!"

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21 JAN 2020 AT 11:08

पलकें उठीं - पलकें गिरी,
वो मुस्काई - कलियाँ खिली
ऐसी भी मोहब्बत की है क्या?

उसके एक वाह पर सौ शेर कहे हमने
तुमने भी शायरी की है क्या?

जहाँ गए जख्म मिले दर्द मिला
तुमने भी काँटों से दोस्ती की है क्या?

उजड़े चमन में फूल खिलें, बहार आये
अमां वो मिट्टी कभी महकी है क्या?

मसल दिया है जिसको वहशीपन से तुमने
जरा बताओ वो चिड़िया कभी चहकी है क्या?

ऐसी भी मोहब्बत की है क्या?

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29 AUG 2019 AT 20:49

इश्क़ के बाद बुरी दुआ नहीं देते
चलो तुम खुश रह कर तड़प लेना

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12 AUG 2019 AT 12:53

इश्क़ के बाद वो हमें
और जीने की दुआ देता है खुदा!
जो हमारी नहीं सुनी तो
तुम्हारी क्या खाक सुनेगा खुदा!

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10 AUG 2019 AT 22:52

सुना है तुमने हमारी वो ग़ज़ल पढ़ी है
जो शायद हमने कभी लिखी ही नहीं है

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10 AUG 2019 AT 22:05

मुझसे पूछते हो न,
क्यों बात करना जरूरी है इतना?
क्यों इतनी याद आती है तुम्हारी?
क्यों पागलों की तरह हरकतें हैं?
तुमसे बातें करना मतलब
तुम्हारी मौजूदगी का एहसास
बहुत थोड़ी सा है साथ हमारा
तो बस यादें ही सहारा हैं
और शायद मेरे पागलपन से तुम
मुझे समझाने लौट जाओ!

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9 AUG 2019 AT 9:36

मदहोश होता हूँ, सब कुछ भूल जाता हूँ,
मैं तुझको भूल नहीं पाता, दो जाम के बाद

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