वो...।
मुस्कुराता है वो, हर एक बात पर।
दिल कि गहराइयों तक पाक है जो।
कहता है जो, करता है वो।
ऐसा गज़ब का हुनरबाज है वो ।
कभी शूरवीर, कभी एक नन्हा बच्चा।
मासूमियत से सराबोर है वो।
सह लेता है बहुत कुछ, कहता कुछ नहीं।
कुछ ऐसी दृढ़ चट्टान है वो।
पिघला नही जो कभी आसानी से।
उसका वो नरम रूप भी देखा है मैंने।
प्यार जिसके कण कण में बसा है।
प्रेम का ऐसा सार है वो।
ऊपर नीचे होती किसी पगडंडी सी ये जिंदगी।
हाथ न छोड़े वो साथ है वो।
चला है संग हर कदम पर जो।
एक ऐसा रूमानी प्यार है वो।
कल्पना से परे कभी सोचा भी न हो।
एक ऐसी खूबसूरत सच्चाई है वो।
लड़ती हूं क्यों फिर भी इतनी उससे।
बात ये मेरे भी समझ में न आई है।😅
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