नवरात्रि के पावन अवसर पर माँ दुर्गा आयी हैं माता दरबार में फूलों की बहार लायी है जगमगाती रौशनी , धूपों की महक आयी है माता सभी के जीवन में ढ़ेरों खुशियां लायी है
हँसने वाले चेहरे को मैंने रोते देखा है एक बुजुर्ग को मैंने फल बेचते देखा है सुबह से शाम शहर में घूमते हुए चेहरे पर पसीने की लकीरो को लिए बेदम हाथो से हड़बड़ाते हुए आँखों मे आँशुओ की गंगा लिए फिर भी दौड़ते भागते हुए काम करते देखा है दुखो के बोझ सिर पर लिए ज़िन्दगी गुजारते मैंने देखा है सूनेपन में जीते हुए वक़्त की बेबसी लिए अंधेरो में खोते देखा है हँसने वाले चेहरे को मैंने रोते देखा है एक बुजुर्ग को मैंने फल बेचते देखा है