हजारों टुकड़ों में बिखरा हुआ हूँ मैंचाहे रेत कह लो या समंदर मुझको - Kavi Shashi
हजारों टुकड़ों में बिखरा हुआ हूँ मैंचाहे रेत कह लो या समंदर मुझको
- Kavi Shashi