बंजर खेत में कंकाल सा वोबादल को घूरता रहा बड़ी देर फिर एक मज़बूत टहनी पर सजा अपनी मजबूरियों का फंदावो सावन में झूलता रहा बड़ी देर स्टैचू!- सीमा संदीप तिवारी - -
बंजर खेत में कंकाल सा वोबादल को घूरता रहा बड़ी देर फिर एक मज़बूत टहनी पर सजा अपनी मजबूरियों का फंदावो सावन में झूलता रहा बड़ी देर स्टैचू!- सीमा संदीप तिवारी -
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