कितनी अजीब बात है, आप खुद से भी मोहब्बत करना खत्म कर सकते है, और जब कोई इंसान ऐसा करता है, तो वो जीता कैसे है ?! मतलब कि उसे अब खुद से मोहब्बत नहीं रही, तबीयत खराब हो तो और हो जाए, मुस्कुराने के बहाने ना मिले तो ना सही.. ग़म को सहने का तरीका पता चल जाए, सपने.. उम्मीदें.. ख्वाहिशें अब सबकुछ बेकार लगती है ! शायद किसी शख्स से की हुई मोहब्बत आपको खुद से की हुई मोहब्बत का गला घोट सकती है, अब उसे खुद के बारे में कोई चीज़ अच्छी नहीं लगती, लगता है जैसे उसे अब कोई प्यार करेगा ना तो वो उस पर तरस खायेगा.. ना कर इश्क - प्यार - की बातें.. सब बेमतलब है, जब जिंदगी ही बेमतलब हो चली है ! अब उसे ना जीने की ख्वाहिश का ख्याल फिर से सताने लगा है, क्या फिर से उसे जीने की वजह ढूँढनी पड़ेंगी.. क्योंकि इस दुनिया में तो कोई नहीं जो उसे जीने की दुआ मॉंगता हो ! खुदा का शुक्रिया करता हो.. वो सोचती है कि क्यों खुदा ने इस धरती पर भेजा, जबकि उसने यहॉं कुछ खास किया ही नहीं, ना किसी को खुश रख पायी ना किसी के दिल में अपनी जगह बना पायी.. उम्मीद है, खुदा या तो उसे अपने पास बुला ले या फिर उसे जीने की वजह दे दे ॥
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