18 MAY 2018 AT 11:56

मिली जो महफ़िल सदियों बाद सोचा एक फ़साना यूँ सुनाऊँ,
आग लगे या ना लगे, शब्दों से आँखें ज़रूर नम कर जाऊँ।

- sasha✍🏻