मिली जो महफ़िल सदियों बाद सोचा एक फ़साना यूँ सुनाऊँ,आग लगे या ना लगे, शब्दों से आँखें ज़रूर नम कर जाऊँ। - sasha✍🏻
मिली जो महफ़िल सदियों बाद सोचा एक फ़साना यूँ सुनाऊँ,आग लगे या ना लगे, शब्दों से आँखें ज़रूर नम कर जाऊँ।
- sasha✍🏻