मोहब्बत का दरिया था वो कभी कोई कस्ती डूबी उसमे तो कोई पार हुई पर हर बार वो वो लहरें तन्हाईयों का शिकार हुई । - SAकेत
मोहब्बत का दरिया था वो कभी कोई कस्ती डूबी उसमे तो कोई पार हुई पर हर बार वो वो लहरें तन्हाईयों का शिकार हुई ।
- SAकेत