Rohit Verma   (Rohit Verma)
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Joined 22 January 2018


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Joined 22 January 2018
15 NOV 2020 AT 22:22

शब्द लहू से हू लिखकर मै मर मिटा हूँ,
जाँ हथेली पर अब लेकर मै मर मिटा हूँ ।

कोई मुझसे कहे न कि मै कहाँ जा सकूँगा,
पीछे यार पुराने सारे छोड़कर मै मर मिटा हूँ ।

रोहित वर्मा

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9 NOV 2020 AT 13:22

मै इंतज़ार में था उसकी एक कहानी देखने,
मेरी बिछड़ी हुई पूरी एक ज़िंदगानी देखने ।

ज़ख्म थे थोड़े से कभी जो भर ही जाएंगे,
फिर वापस न आना मेरी वो रवानी देखने ।

रोहित वर्मा

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4 MAY 2020 AT 20:54

वक़्त बदलता जाएगा,
मौसम फिर वही आएगा ।

एक बार सो गया इस पल,
फिर जाग कभी न पाएगा ।

रोहित वर्मा

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6 APR 2020 AT 21:14

सारी ख्वाइशें अब मर मिटी है ,
ये सारी दुनिया अब घर बैठी है ।

सजाए थे जो ख्वाब हमने कभी ,
थम के जिन्दगी अब ये कहती है ।

रुक के ज़रा कभी कदमो से मिल ,
मंज़िल तो खुश रहने से मिलती है ।

करले अब इस बात पर भी यकीन ,
बगैर तेरे भी ये दुनिया चलती है ।

रोहित वर्मा

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8 MAR 2020 AT 18:52

मैंने तुझको दिया जो वो पैगाम कहाँ है ,
आँखों से पिलाया जो वो जाम कहाँ है ।

जब देखोगे तब पाओगे सब आधा-आधा ,
फिर मुझसे कह दोगे हुई शाम कहाँ है ।

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16 FEB 2020 AT 18:05

रोहित तुझे चलना सिखाएगी न माँ ।

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16 FEB 2020 AT 18:01

मेरा ध्यान वही गया जहां जाना नही था,
उसे मुझे यूँ इस कदर सताना नही था ।
दुनिया से लड़के जो है मेरे लिए आया,
वो मेरा अपना ही था बेगाना नही था ।

रोहित वर्मा

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16 JAN 2020 AT 16:14

एक भटके हुए मुसाफिर से वो राह पूछ रहा था ,
खो चुका जिसका सब उसकी चाह पूछ रहा था ।
मैंने शिकायत करी थी जिस दिन उसकी खुदा से ,
वो छुपने के लिए मेरी नज़रो से पनाह पूछ रहा था ।

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16 JAN 2020 AT 16:09

सफर की याद में हम सफर होने का बहाना दे गया ,
कौन जाने कौन अपना कौन जाने बेगाना दे गया ।।
रह गया नसीब में अब तलक जो कभी मेरा न हुआ ,
रुठ के जाने किस बात पर नाम हमे दीवाना दे गया ।।

रोहित वर्मा

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7 NOV 2019 AT 18:57

जब मायूस था तब मैं बहुत रोया था ,
हर पल अपना तेरी याद में खोया था ।।
जिस लम्हे में कैद थे तेरे राज़ वो सारे ,
उस हरेक पल को मैंने खुदमे संजोया था ।।

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