वो वक़्त की साज़िश थी जो बदल गया,हां याद है मुझे आज भी मेरी बाहों में तुम्हारा सर रख कर सोना....! - उन्मुक्त स्याही "SaaR"
वो वक़्त की साज़िश थी जो बदल गया,हां याद है मुझे आज भी मेरी बाहों में तुम्हारा सर रख कर सोना....!
- उन्मुक्त स्याही "SaaR"