अनकहे शब्दों के बोझ से थक जाती हूँ...कभी -कभी...पता नही चुप रहना समझदारी हैं या मजबूरी!नाराजगी तेरी भी जायज़ है...पर मेरे पास मेरी पैरवी करने के लिए कुछ भी नहीं! - RAहि :-)
अनकहे शब्दों के बोझ से थक जाती हूँ...कभी -कभी...पता नही चुप रहना समझदारी हैं या मजबूरी!नाराजगी तेरी भी जायज़ है...पर मेरे पास मेरी पैरवी करने के लिए कुछ भी नहीं!
- RAहि :-)