सत्य को तब समझ जाओगे,
जब भीतर को सुन पाओगे ।
समझ जाओगे तो संभल जाओगे ,
खुद को बदलना सुरु कर पाओगे ।
में ये नहीं कहता बच ही जाओगे,
पर कुछ ठोस कदम उठा पाओगे ।
अगर यु ही सोए रह जाओगे,
तो ज़िन्दगी से तुम कुछ न पाओगे ।
प्रकृति में एकाकार हो जाओगे,
तो खुदको उसीमे देख पाओगे ।

- ©vibrant.writer