कभी कुछ लिखने के लिए,उससे दिल लगाना पड़ता है। कभी लिख दो सीधा, कभी गोल घुमाना पड़ता है। कभी लिख दो गेहरा, कभी लिख कर मिटाना पड़ता है। -
कभी कुछ लिखने के लिए,उससे दिल लगाना पड़ता है। कभी लिख दो सीधा, कभी गोल घुमाना पड़ता है। कभी लिख दो गेहरा, कभी लिख कर मिटाना पड़ता है।
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कुछ मन नहीं था, कुछ हो गया।कुछ मन नहीं था, कुछ हो गया।जुबां भरी थी लफ्जों से,कुछ कहते-कहते खो गया।बोझ धरे इन कांधों पे,मैं सहते-सहते ढो गया। कुछ चुबा ज़ेहन में ज़ोर से,मैं रहते-रहते रो गया। कुछ मन नहीं था, कुछ हो गया।कुछ मन नहीं था, कुछ हो गया। -
कुछ मन नहीं था, कुछ हो गया।कुछ मन नहीं था, कुछ हो गया।जुबां भरी थी लफ्जों से,कुछ कहते-कहते खो गया।बोझ धरे इन कांधों पे,मैं सहते-सहते ढो गया। कुछ चुबा ज़ेहन में ज़ोर से,मैं रहते-रहते रो गया। कुछ मन नहीं था, कुछ हो गया।कुछ मन नहीं था, कुछ हो गया।
ये हसीन शाम को ढलना था,सो ढलती गई।बाद जाने के आपके भी,बात आपकी चलती रही। -
ये हसीन शाम को ढलना था,सो ढलती गई।बाद जाने के आपके भी,बात आपकी चलती रही।
Words are for inspiration.Decisions are for changes. -
Words are for inspiration.Decisions are for changes.
जब दर्द के दो पल, हम बयां करने बैठे।क्या बताएं जान, तुझसे ही शुरुआत कर बैठे। -
जब दर्द के दो पल, हम बयां करने बैठे।क्या बताएं जान, तुझसे ही शुरुआत कर बैठे।
चेहरा बता रहा था कि मरा है भूक से।सब लोगों ने कहा, कुछ खा के मर गया। -
चेहरा बता रहा था कि मरा है भूक से।सब लोगों ने कहा, कुछ खा के मर गया।
मेरे को हर मंजिल छोटी लगती रहे...बस यूं ही मां की दुआ असर करती रहे... -
मेरे को हर मंजिल छोटी लगती रहे...बस यूं ही मां की दुआ असर करती रहे...
कब आते हो ?आकर चले जाते हो lखबर नहीं देते...आकर लौट जाते हो lघर तक आते हो हमारे lहम तक भी आ जाया करो lइतने नजदीक आकर,तुम क्यूं लौट जाते हो..? -
कब आते हो ?आकर चले जाते हो lखबर नहीं देते...आकर लौट जाते हो lघर तक आते हो हमारे lहम तक भी आ जाया करो lइतने नजदीक आकर,तुम क्यूं लौट जाते हो..?
राज के हमराज़ को इक राज़ तक ही रेहने दो।चीख भरी है खामोशी में, राज को चुप ही रेहने दो।मज़ा बहुत आता है मुझको, इस खामोशी के दर्द में,इतनी जल्दी क्या है अभी, थोड़ा और मज़ा सेहने दो। -
राज के हमराज़ को इक राज़ तक ही रेहने दो।चीख भरी है खामोशी में, राज को चुप ही रेहने दो।मज़ा बहुत आता है मुझको, इस खामोशी के दर्द में,इतनी जल्दी क्या है अभी, थोड़ा और मज़ा सेहने दो।
रास्ते मंजिलों के, खुद-ब-खुद मिल जाते!जो कठिनाइयों से लड़कर, हंसकर तुम चल जाते! -
रास्ते मंजिलों के, खुद-ब-खुद मिल जाते!जो कठिनाइयों से लड़कर, हंसकर तुम चल जाते!