हाँ कमिया थी उजागर क्योंकि, हम युवा थे गलतियो ने ही, आज जीतना सिखा दिया हाँ हम युवा थे अपनी कमियो मे बहुत कुछ नया कर जाते हैं हाँ कमियों मे ही जीत ढूढ़ते हैं आत्मपूर्ण लेखन ✍️
खड़े हो कर खिलड़ी पर एहसास किनारे रख लिया कुछ जीवन की यादो को दूर तलक निहार लिया कुछ व्यस्त भले दिन चर्या मे घर को अपने निकल चले कुछ लगे रहे, दो चार पैसो को छोटी बड़ी नई खुशीयो को खुद से मिलना भूल गए वो जीवन जीना भूल गए!! आत्मपूर्ण लेखन ✍️
किसी पुराने पन्ने, को ढूंढ रहा हूं.. यारो.. अधूरी.. कविता जोड़ रहा हूँ जो शब्द थे बिखरे.. उन्हे सहेज रहा हू.. जो भूल गए उन्हे fb मे ढूंढ रहा हूँ उन्हे fb मे ढूंढ़ रहा हूँ