Prashant Chaubey   (Prashant_Chaubey✒)
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दिल से लिखता हूं, दिल तक लिखने की चाहत है।

Instagram: @pentastic.ig
Joined 23 February 2017


दिल से लिखता हूं, दिल तक लिखने की चाहत है।

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Joined 23 February 2017
12 AUG 2021 AT 8:50

खामोशी जज़्बातों की कब्र नहीं,
खामोशी जज़्बातों का सब्र है..।।

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27 JUN 2021 AT 23:42

तेरे नैन ढकें, तब रैन जगे,
दिन चढ़े है देख मुस्कान...
तेरी ज़ुल्फ बिखेरे हवा चले,
और ले जाए मेरी जान...!!

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25 JUN 2021 AT 9:16

मेरी लिखाई में लोग तुम्हे ढूंढेंगे,
और जब तुम मेरा लिखा पढ़ोगे..
तो तुम मुझे पाओगे...तुम्हें ढूंढते हुए..!!

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20 JUN 2021 AT 9:04

एक आम घर का लड़का अपने लड़कपन में अपने पिता से कितनी ही अलग सोच क्यों न रखता हो,

पर जब बात ज़िम्मेदारियां उठाने की आती है तो उसके कंधों की बनावट, पिता के कंधों जैसी होती जाती है..।।

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20 JUN 2021 AT 7:40

जब तक कि प्रेम अपनी सीधी गति से चलता है,
तो उस प्रेमी की चाल के साथ ही निरंतर चला करता है..

परंतु जैसे ही प्रेम ने अपनी गति कुछ देर उल्टी की,
तो उसी प्रेमी के चाल चलन पर लांछन लगने शुरू हो जाते हैं..!!

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16 JUN 2021 AT 17:56

माना कि स्त्रियों की ये आकांक्षा होती है कि उनसे प्रेम करने वाला, उनकी प्रशंसा में सुंदर शब्द गढ़ कर उनके सौंदर्यता और व्यक्तित्व का वर्णन कर दे।

उन स्त्रियों को ये समझना चाहिए कि उनसे सच में प्रेम करने वाला जीवन भर शब्द तो गढ़ सकता है परन्तु कभी भी ऐसा कुछ न ही बोल पाएगा या न ही लिख पाएगा, जिसमें तुम्हारी सौंदर्यता और व्यक्तित्व के लिए उसका सारा प्रेम समा जाए।

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4 JUN 2021 AT 8:08

हर सहर भर तो जाता है ये शहर रोशनी से तुम्हारे..
तुम्हारे खालीपन से भरा तमस फिर भी रहता है साथ हमारे..।।

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29 MAY 2021 AT 7:45

मैं लिख देता हूं मन की बहुत सी बातें, और छोड़ देता हूं लिख कर कागज़ों पर, उन्हें दबा कर कहीं..
मन में आई बातें तो उतर आती हैं कागज़ पर, फिर भी कुछ भारी सा महसूस होता है अंदर में..
क्योंकि उन बातों की वजह जो तुम्हारी यादें हैं, एक-एक पल की...
वो कागज़ पर उतारे नहीं उतरती,

मेरी कलम को लिखने की कला चाहे कितनी ही आती हो..पर तुम्हारी उन खूबसूरत यादों की हुबहू शकल बना पाना मुमकिन नहीं...
वो सिर्फ दिल जानता है कि तुमसे कितना सच्चा प्यार है इसे और कितनी सच्ची है मेरे अंदर तुम्हारी यादों की मौजूदगी..!!

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28 MAY 2021 AT 16:24

कोई इंसान जब किसी अपने के सामने एक चेहरा लिए होता है और किसी दूसरे के सामने कोई और, फिर ये सोचे कि उसने अपनी असलियत वहां बखूबी छुपा ली है तो इससे बड़ा मतिभ्रम और क्या ही होगा!

क्योंकि उस वक्त भी वो इंसान असल में अपना वो चेहरा दिखा रहा होता है जो कि उसके अपनों ने भी शायद नहीं देखा होगा। मगर इस बात पर वो खुद कम ही गौर करता है।

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25 MAY 2021 AT 14:35

जब कभी बहुत ज़्यादा सोच लो,
इतना कि...जब थकान बहुत ज़्यादा बढ़ जाए..
जब ज़िंदगी से हारने का मन करे..तो हारना नहीं..!!

हारना नहीं..परिवार के लिए..
जिसके लिए तुम्हारी जीत में ही उसकी भी जीत है..।।

हारना नहीं..प्यार के लिए..
जिसके काबिल बन पाना ही तुम्हारी सच्ची प्रीत है..।।

हारना नहीं..पुराने यार के लिए..
जिसके लिए तुम्हारी हिम्मत, समाधानों का प्रतीत है..।।

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