Piyush Sharma   (Piyush)
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Joined 2 April 2017


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1 FEB 2022 AT 22:40

अपनों के दिल से निकली, दुआ है
अगर नहीं, तो ज़िन्दगी और क्या है

अच्छा काम, कभी नहीं मिटता
सच मानो, इतिहास गवाह है

मिटती नहीं आलम से, ख़ुशबू कोई
नए ख़्याल में भी, पुरानी याद रवाँ है

प्यार का मौसम, दे रहा है दस्तक
नज़ाकत से जो, एक बादल बरसा है

नज़र रखती है, मेरी छोटी-छोटी ख़ुशी पर
सोचो आख़िर, किस फ़िराक़ में ये दुनिया है

बहुत मुश्किल होता है, रास्ता इश्क़ का
है सच मगर, इसका अपना ही मज़ा है

बस किरदार बदले हैं, कहानी नहीं
किस्सा वही, हर एक के साथ हुआ है— % &

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31 JAN 2022 AT 21:54

इश्क़ होता रहा हमें, लड़ने की बात पर
क्यों मिले थे हम, बिछड़ने की बात पर

अब तरसते हैं, एक झलक को भी उसके
कभी लड़े थे, हाथ पकड़ने की बात पर

सुना है, बड़ा ही बैरी हो चला है ज़माना
लोग जलते हैं, दिल जुड़ने की बात पर

ख़्वाब देखता है रोज़, पिंजरे में परिंदा
आँसू थमते नहीं, उड़ने की बात पर

अब भी नहीं मालूम, रास्ता मंज़िल का
दिल दुखता है मगर, मुड़ने की बात पर

उस तब्बसुम में ढूँढ़ा है, ठिकाना अपना
जो मुस्कुराते हैं, आगे बढ़ने की बात पर

दिल को कैसे न भाए यार, यूँ शर्माना उसका
वो शर्मायी, फ़ोन से रुख़ अड़ने की बात पर— % &

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30 JAN 2022 AT 23:14

एक कोशिश तो, कर सकते हैं हम
साथ चलना चाहो, तो ठहर सकते हैं हम

बिगाड़ा है, तुम्हारे ही इश्क़ ने हमें
तुम चाहो, तो सुधर सकते हैं हम

अब और दर्द नहीं देती, उस शहर की यादें
उन गलियों से दोबारा, गुज़र सकते हैं हम

हमारी आँखों में न देखना, जब मुस्कुराएँ हम
मुमकिन है, कि दिल में उतर सकते हैं हम

दुनिया में सुखी कौन है, उनसे बिछड़कर
हँसकर इस बात से भी, मुकर सकते हैं हम

अब जो उबर आएँ हैं, इस हिज्र के हादसे से
तो अब किसी भी सदमें से, उबर सकते हैं हम

अभी देखा ही कहाँ है ज़माने ने, हुनर हमारा
अभी तो और भी ज्यादा, निखर सकते हैं हम— % &

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29 JAN 2022 AT 22:02

बात बढ़ जाएगी, तो बढ़ जाने दो बात को
बस मुक़म्मल कर दो, इस मुलाक़ात को

तिनका तिनका जोड़कर, ख़्याल बुने थे
तुम्हारी हथेली ने, छुआ था मेरे हाथ को

तुम लिपटी मुझसे, बिजली कड़कने पर
मैं दुआएँ कैसे नहीं देता, उस बरसात को

प्यार जुदा कर देता है, नज़रिया सबका
अब अलग नज़र से देखते हैं, क़ायनात को

हर किसी को सुनानी है, बस अपनी दास्तान
इसीलिए छुपाए फिरता हूँ, अपने जज़्बात को

मुझे नामंजूर है शायद, अंत कहानी का
मुसलसल याद करता हूँ, मैं शुरुआत को

कोरा ही रहा, हर कागज़ किताब का
कलम तरसती रह गयी, दवात को— % &

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28 JAN 2022 AT 21:44

सब कुछ गंवाकर भी, पाया उसको
मैंने इस क़दर था, अपनाया उसको

मुझसे भी ज्यादा, वो शामिल है मेरे अंदर
इससे ज्यादा, अपना नहीं बनाया उसको

सोचा, सब साफ़ साफ़ कह देना अच्छा होगा
तभी तसल्ली से, अपना हाल बताया उसको

उफ़्फ़, वो टकटकी बाँध के देखना उसका
यूँ रहा याद, कि कभी नहीं भुलाया उसको

दिल की बात, क्यों नहीं सुनते अब लोग
मैंने कोशिश करके, सब सुनाया उसको

तुम्हारी एक ग़लती भी, याद रखी जाती है
कुछ इस तरह ही, मैं भी याद आया उसको

धीरे धीरे करीब आने लगा था, वो ख़्वाब में
फिर अचानक ही किसी ने, जगाया उसको— % &

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27 JAN 2022 AT 20:49

हमारा हाथ थामो, हमारे साथ चलके देखो
बहुत कुछ बदल सकता है, बदलके देखो

सब कहते हैं, मेहनत का फल मिलता है
इस बार मिलो हमसे, तो गले मिलके देखो

ज़िन्दगी का रास्ता, तेरी तरफ़ था या मेरी
फिसलना लिखा ही है, तो फिसलके देखो

सख़्ती की सरहद में, क़ैद हो जाती है बर्फ़
आज़ाद पानी बनो, अगर पिघलके देखो

आँखों में देखो, तो दिल में उतर आते है
अबके हमें देखो, तो ज़रा संभलके देखो

अलग ही नशा है, इश्क़ में जलने का
कभी किसी के इश्क़ में, जलके देखो

कुछ छलांगे भी देती हैं, मज़ा उड़ान का
उठो, खड़े हो जाओ, और उछलके देखो— % &

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26 JAN 2022 AT 21:45

ज़िम्मेदारी सबकी है, सबको निभानी होगी
जो बतानी ज़रूरी है, वो बात बतानी होगी

लाज़मी नहीं है, हर बात सब ही से कहनी
जो तुमसे कहनी है, औरों से छुपानी होगी

तुम्हें जो अक्सर याद आती होगी, बातें मेरी
अमूमन वो सारी बातें, कितनी पुरानी होगी

सोचो तुम्हें याद होगी, कौनसी आदत मेरी
तुम्हारे पास, मेरी क्या-क्या निशानी होगी

ये कहाँ सोचा था, तुमसे दिल लगाते वक़्त
कि तुम्हें भुलाने में, इतनी परेशानी होगी

जो बात, आईने से कहनी न हो मुमकिन
वो तुमसे कह दूँ, ये तो बेईमानी होगी

अब रखती है कितनी एहमियत हमारे होने में
हमारे बाद ये दुनिया, बस एक कहानी होगी— % &

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25 JAN 2022 AT 21:47

अब भी वही दिन हैं, वही रातें
नदारद हैं बस, अपनी मुलाकातें

बस इतना कहा उन्होंने, मुझसे दूर जाके
गर मैं आवाज़ लगाता, तो वो लौट आते

मेरी बस यही एक, फ़रियाद है तुमसे
तुम पहले की तरह, क्यों नहीं मुस्कुराते

जीवन में आगे, तुम भी बढ़ो, मैं भी बढ़ूँ
कब तलक रहेंगे हम, वही बात दोहराते

सब लोग जानते हैं, हक़ीक़त हमारी
कहाँ लाज़मी था, कि हम कुछ छुपाते

उन तक पहुँचने ही थे, जज़्बात मेरे
उम्र गुज़र गयी, हाल-ए-दिल गाते

अजीब ताप देखा है, इस ज़मीन ने
यूँ ही नहीं आयी है, ये सर्द बरसातें

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24 JAN 2022 AT 21:05

तुमसे मिलने की, नई तरक़ीब सुझाई है
बात, वक़्त को ख़रीदने तक आयी है

हो सके बताओ तुम, हिसाब करके
एक लम्हे की क़ीमत, क्या लगाई है

फिर मत बनाना, बहाना वही पुराना
ज़िन्दगी यूँ ही, मसरूफियत में बिताई है

बहुत मुश्किल है, ये बात किसी को समझना
तुम्हारी आँखों में, क़ैद होने में भी रिहाई है

तुम्हें एहसास भी न होगा, इस बात का कभी
तुमसे बात करने को, कितनी बातें बनाई है

काश देख पाते, तुम भी मेरी नज़र से
लफ़्ज़ों से जो, तुम्हारी तस्वीर सजाई है

अक्सर कतरा जाते हैं, जो कहने में लोग
तुमको वही बात, मैंने खुलकर बताई है

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23 JAN 2022 AT 20:02

सब कुछ जान कर, अंजान मत बनो
तुम नादान नहीं हो, नादान मत बनो

ख़ुदको, कितना गुम करूँ तुममें
अब और, मेरी पहचान मत बनो

बरस जाए, तो एक बादल भी बहुत
दस्तरस न हो, ऐसा आसमान मत बनो

हम, लहरों से खेलने वाले नहीं अब
तुम भी, बार-बार तूफान मत बनो

अपनी कहानी के, ख़ुद ही बनो सूत्रधार
अपनी ही कहानी में, मेहमान मत बनो

लिखो वो सब भी, जो लिखना नहीं चाहते
भले बदज़बान बनो, पर बेज़बान मत बनो

क्यों कर रहे हो, सही ग़लत का फ़ैसला
इंसान बने रहो "पीयूष" भगवान मत बनो

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