देखा जब तुम्हें हमारे साथ साथ,ऐ ! जिंदगीना जाने क्यों ये कायनात आज फिर जल गई- नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष - नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष” ©
देखा जब तुम्हें हमारे साथ साथ,ऐ ! जिंदगीना जाने क्यों ये कायनात आज फिर जल गई- नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष
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