@अनंत  
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लेख प्रशनन्म
Joined 28 March 2018


लेख प्रशनन्म
Joined 28 March 2018
13 APR AT 16:53

रण में ऐसा खिलूँगा मैं ,
दरिया में थर-थर करना होगा ।
बन बाज़ ऐसा उड़ूँगा मैं ,
आसमाँ में कंपन करना होगा ।।
अध्याय ऐसा लिखूँगा मैं ,
विज्ञान में विचार करना होगा ।
नेतृत्व ऐसा करूँगा मैं ,
लोकतंत्र को भी झुकना होगा ।।

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27 FEB AT 11:55

यूं कस के लिपट जाना मेरे बदन से
की मैं डगमगाता बहुत हूं ।
यूं खुद खोज लेना मुझे अंधेरे में
की मैं डरता बहुत हूं ।
मालूम है ना
सीने में अंगार जलाए , मैं मुस्कुराता बहुत हूं ।।

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23 FEB AT 10:37

सिमट जाए जो काया मेरी राख़ में , महाराणा बन कर आऊँगा
डूब जाए जो लहू मेरा सागर में , पृथ्वीराज बन कर आऊँगा
लिपट जाए जो संघर्ष मेरा युद्ध में , शिवाज़ी बन कर आऊँगा
जल जाए जो ज्योति मेरी नाथ चरण में , इतिहास नया दोहराऊंगा

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8 MAR 2023 AT 13:18

सूरत को देख हुआ मै ऐसा लाल
की इश्क़ में रंग गए सारे अंदाज़ ।
लिबास में उसके डूबा ऐसा गुलाल
की वसंत में भीग रही मुमताज़ ।
रोम के खुशबू से हुआ ऐसा बेहाल
की चढ़ गया दिल में नशा है आज ।
कुदरत ने बनाया तुझे ऐसा कमाल
की हुस्न पर लिखता रहे कविराज ।।

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12 FEB 2023 AT 0:25

मैं आस्मा में क्या तलाशा मुझे चाँद ग़ज़ब मिल गया
मैं सफ़र में क्याँ चला मुझे दिलगीर अलग़ दिख गया ।
मैं आँखों में क्या निहारा मुझे प्रीत से मिलन हो गया
मैं ज़ुल्फ़ो में क्या उलझा मुझे शहर क़बूल हों गया ।
मैं कागज़ में क्या खुरेचा मुझे मोह बवाल हो गया
मैं स्वप्न में क्या पुकारा मुझे समीक्षा स्वयं हो गया ॥

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14 AUG 2022 AT 21:59

लहू के सैलाब में डूबा वतन ये सारा था
तब इंक़लाब लिख कर वो जाता था
शहीद भगत सिंह ही वो सहारा था ।

गुलामी के मेले में तौलता ये हिंद बेचारा था
तब रण में रोष भर वो जगाता था
आज़ाद नाम से वो कहलाता था ।

देशभक्ति से गूँज रहा जय हिंद का नारा
चारों ओर लहरा रहा ये शान तिरंगा प्यारा
आजादी में खूब जच रहा हिन्दुस्तां हमारा ।

अमृत से भरी हैं विजय पथ की धारा
महोत्सव में जगमगा रहा हैं शहर हमारा
आजादी में खूब जच रहा हिन्दुस्तां हमारा ।।

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28 JUL 2022 AT 0:56

जो मैं लहरों से बग़ावत कर जाऊ
तो समंदर सा छिपा लेना रे बाबा ।
जो मैं चट्टानों से रेत हो जाऊं
तो मिट्टी सा समेट लेना रे बाबा ।
जो मैं हवा से तूफ़ान हो जाऊं
तो मोम सा पिघला लेना रे बाबा ।
जो मैं ख़ामोशी से ख़्वाब हों जाऊ
तो माँ से राज छुपा लेना रे बाबा ।।

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20 JUL 2022 AT 19:05

जो तू ओढ़ क़फ़न मेरे नाम का
मैं अंत भी अनंत कर दू ।
जो तू रह तन्हा देख चाँद को
मैं आसमां भी राख़ कर दू ।
जो तू गुज़र जहां मेरे मोड़ से
मैं इश्क़ भी निलाम कर दू ।
जो तू बिख़र जा इन लबों पे
मैं गीत भी ग़ज़ल कर दू ।।

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11 JUL 2022 AT 23:06

माँ की आँचल में लिपटा
मैं झख़्म नरम कर रहा हूं ।
गांव की मिट्टी में जन्मा
मैं नाम अमर कर रहा हूं ।
इश्क़ का दाग़ नया नया सा
मैं लब्जों से हद पार कर रहा हूं ।
शिव शंकर का जग दीवाना
मैं काल भस्म कर रहा हूं ।।

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8 OCT 2020 AT 16:23

थोड़े से पुनः कमाऊ
थोड़ी गिनती हैं पापों की (१)
पर कोई फरक ना पड़ता
बोलू बस जय बाबा की (२)
साफ़ दिल हैं रंगीला
पर गंदी नज़र ना रखता (३)
मरता बस यारा पे मैं
ग़द्दारों की क़दर ना करता (४)

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