24 FEB 2018 AT 22:46

कुछ इस तरह का मज़हब है इश्क़ का
किसी को बाग दिया
कोई पत्ता ज़र्द हो गया
कुछ इस तरह का मज़हब है इश्क़ का
किसी का यार मिला
कोई गम ए तन्हाई में रो गया
कुछ इस तरह का मज़हब है इश्क़ का
किसी को शैतान में खुदा मिला
कोई खुदा , शैतान हो गया...

- मुकुल मित्तल