Mukta Singhal   (Nisha)
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I am a homemaker
Not a writer but love to write
I wrote my thoughts
Not my life
Joined 9 February 2018


I am a homemaker
Not a writer but love to write
I wrote my thoughts
Not my life
Joined 9 February 2018
4 HOURS AGO

आंसू अपने




तेरे गुनाह

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4 HOURS AGO

दुनिया को सिखाना बाकी है
खुद नियम नये बनाने हैं
कुछ गुनाह मिटाना बाकी है


हैं रोज रोज के क्यों किस्से ?
कहानी बनाना बाकी है
इकतरफा क्यों रफ्तार रहे?
अपनी चाल बढ़ाना बाकी है....

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YESTERDAY AT 14:45

समय को प्रेम बना लो
चुगते रहो कर्म रुपी दाना
समय से ताल मिला लो

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YESTERDAY AT 14:38

थी शायद
पर लिखी थी उन में मेरी कहानी
वो बोल नहीं पायी
और तुम अनपढ़ निकले
बस यही थी दो नैनों की कहानी

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YESTERDAY AT 14:31

ना जाने कितने मोड़ों की याद लाया है
ये पानी जो मेरे मटके में समाया है

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YESTERDAY AT 10:04

मनुष्य से विकृत
विकृति ना देखी

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YESTERDAY AT 10:00

बिक जाती मिडिया सारी
खबरों की होती सेंधमारी
सुर ब्यार कुछ ऐसी बहती
वोट तुलते नोट में

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YESTERDAY AT 3:14

प्रेम हमेशा तिरस्कृत रहा
प्रेम सदैव पुरस्कृत भी रहा

समाज में जैसी हवा चलायी
प्रेम उसी रूप में प्रवाहित हुआ

अभी नफरतों के अंधड़ चल रहे
हर जीव पर चाकू छूरे चल रहे

बह रही विपरीत नदियां
तन सर से जुदा के नारे लग रहे



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17 APR AT 23:25

हर गुमशुदा बच्चा वेश्यावृत्ति में नहीं धकेला जाता,
कुछ बच्चे कमेलों,चमड़ा फैक्ट्रियों और मांस उत्पादक कारखानों में भी... शोषित किये जाते है...
अत्याचार अवर्गीकृत कृत्य है

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17 APR AT 19:26

कुनेताओं , कुप्रथाओं और‌ कुशासन की देन‌ है
क्रुरता

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