यह चांद देखकर तुम बहुत याद आती हो,
कैसे तुम इस दिल को इतनी भाती हो ?
होश खोया था पहली बार तुम्हें देखकर मैंने
कैसे तुम इस दिल को समझ न पाती हो?
याद है तुम्हारी क्या करूं ?
मुझको अब भी तुम ही क्यों याद आती हो ?
सवाल पूछता हूं खुद से मैं,
तुम हर पहर क्यूं मेरे खयालों में आती हो?
तुम नहीं हो जिंदगी में मेरी जनता हूं मैं,
फिर भी हर वक्त क्यूं तुम ही नजर आती हो?
अरे अगर आना है तो हमेशा को आजाओ,
यू आते जाते इस दिल को ना सताओ,
मेरी आंखों में हर बार अपनी तस्वीर ना बनाओ,
खयालों से तुम्हारे इस दिल को ना धड़काओ,
ना जाने क्यूं तुम हर बार मेरी सांसों की धुन छेड़ जाती हो,
सारी दुनिया भूल कर क्यूं तुम ही नज़र आती हो,
ये आने जाने से क्यूं तुम मुझे इतना तड़पती हो ?
ना जाने क्यूं,
यह चांद देखकर तुम बहुत याद आती हो,
कैसे तुम इस दिल को इतनी भाती हो ?
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