16 JUL 2018 AT 11:50

बैठ जाता हूं मिट्टी पे अक्सर....
क्यूं के मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है....
मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीका....
चुप चाप से बेहना और अपनी मौज में रहना....

ऐसा नहीं है कि मुझ में कोई एब नहीं है....
पर सच कहता हूं....
मुझ में कोई फरैब नहीं है....

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