Mayank Srivastava   (Mayank Srivastava)
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जो दिल में है वो कलम से कागज़ पर उतार देता हूँ।

My insta page: kalam_bayaan_karti_hai
Joined 29 July 2017


जो दिल में है वो कलम से कागज़ पर उतार देता हूँ।

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Joined 29 July 2017
14 APR AT 0:51

एक दिन रूठ गए सब फूल, गुलाब से,
बोले, 'भक्ति के लिए बाकी हम सब है, प्रेम के लिये सिर्फ गुलाब क्यों",
गुलाब बोला, "मैं सिर्फ प्रेम का प्रदर्शन हूँ, प्रेम में समर्पण नहीं",
यदि चाहिए स्वीकृति तुम्हें प्रेम की, तो तुम सब फूलों जैसा समर्पित होना सीखना होगा,
जैसे ईश्वर से हमारा प्रेम किसी भी फूल विशेष का मोहताज नही,
दिल टूटने पर कभी किताब में सहेज कर रखे वो गुलाब फेंक दिए जाते है,
लेकिन मंदिर से आये किसी भी फूल को ससम्मान विसर्जित किया जाता है,
यही भेद है प्रदर्शन और समर्पण में,
गुलाब की ये बातें सुनकर सभी फूल एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराये...

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25 MAR AT 0:09

ज़िन्दगी देख रही है मेरा असली रंग,
नकली वाला तो होली में काम आता है..

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25 MAR AT 0:04

Happy Ending से खत्म कर दें अपनी कहानी,
इस कदर झूठ हमसे ना लिखा जाएगा...

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25 JAN AT 22:16

इस सर्द रात में खुले आसमाँ के नीचे जो लोग सड़क किनारे अखबार बिछाकर सो रहे है,
या तो ऊपरवाले ने खुद आकर उनकी जिम्मेदारी ले रखी है,
या तो फरिश्ते गए है घर-घर कम्बल बांटने....

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25 JAN AT 21:59

जब भी कभी किसी का मन खंगाला जाएगा तो उसमें सिवाय गमों के कुछ ना मिलेगा,
क्योंकि खुशी तो कब की बंट जाती है लेकिन गमों को भीतर ही दफना दिया जाता है....

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20 DEC 2023 AT 23:28

दिसम्बर जाने की कगार पर,
मैं इस साल की यादें भूल जाने की कगार पर,
कंपकंपी वाली ठंड रातें,
शाल लपेटकर कमरे में बैठा मैं,
रात को हवा की सांय-सांय,
जैसे कुछ कहना चाहते हो सन्नाटे,
घर की दीवारें अब तुम्हें पूछने लगी है,
वो दीवार घड़ी रोज़ इसी समय रुकने लगी है,
बिस्तर पर अब सिलवटें नही है,
करने को बात है, सुनने को कोई नही है,
नुक्कड़ पर चाय पीने अब नही जाता,
अब कैलेंडर में छुट्टी का कोई दिन नही आता,
सोचा था इस बार घुमने बाहर जाऊंगा,
ए फुरस्त, मैं तुझे कब याद आऊँगा,
रात को जाम भी अब लड़ते नही है,
वही खड़े है, तुझसे आगे बढ़ते नही है,
क्यों अवाक से खड़े यहाँ सब मौन है,
अपने भी पूछने लगे है, "आप कौन है"
मेरे घर के रोशनदान से ताकती हो तुम,
हँसना चाहता हूँ, पर हँसी कहाँ है गुम,
काम में ही ये उमर गुज़र जा रही है,
बेबसी, तुझको मेरी हालत पर मौज आ रही है,
बहुत हुआ अब, ये तिलिस्म मैं तोड़ने जा रहा हूँ,
अंधेरों को चीरकर उजाला लेकर बाहर आ रहा हूँ...

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17 DEC 2023 AT 23:05

फरेब की इस दुनिया में ईमानदारी खोज रहा था,
मैं अपने दोस्तो में वफादारी खोज रहा था,
राह चलते एक कुत्ता आकर लिपट गया मेरे पैरों में,
और मैं हैरान हूँ, मैं इंसानो में इश्क़ बेशुमारी खोज रहा था....

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27 NOV 2023 AT 23:25

सच बोलूं तो मैं रोता नही हूँ,
बचपन में जब भी गिरता था, आँखे हो जाती थी नम,
जबसे बड़ा हुआ, महसूस कुछ होता ना था गम,
React करना छोड़ दिवा, समझाना छोड़ दिया,
जो आईना था दुःखों का, उसे भी तोड़ दिया,
बहन की विदाई हो, या दोस्त जाए छोड़ के.
दिल भी जब टूट जाये, कह देता हूँ, "I don't care",
बड़ी जिम्मेदारियां औऱ अकेला मैं,
सह लेता हूँ हंस के, Why should I cry,
परवाह नही साथ कोई खड़ा है या नही,
मुस्कुराता हूँ हर पल, क्या गलत क्या सही,
बताता नही किसी से, क्या चल रहा है अंदर,
जोकर सी smile लिए, हँसता-हँसाता रहता दिनभर,
ज़िन्दगी से किया गया कोई समझौता नही हूँ,
सच बोलूं तो मैं रोता नही हूँ...!!!

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31 OCT 2023 AT 10:41

एक युद्ध चल रहा है,
इज़रायल और फिलिस्तीन में,
यहूदियों और मुस्लिमों में,
पॉवर और प्राइड मैं,
मारने तक लड़ने तक और लड़ते हुए मरने तक,
दोनों ओर से हो रहे है हमले,
दागी जा रही है रातोंदिन मिसाइलें,
एक फिलिस्तीनी औरत रो रही है,
उसका परिवार खत्म हो चुका है,
एक यहूदी लड़की रो रही है,
उसकी माँ का शव जो मिला है,
सबकी ज़िन्दगी सिर्फ डोर से बंधीं है,
तकरीबन सबका मरने का भय खत्म हो चुका है,
वही दूसरी ओर, UNO मूक दर्शक बना बैठा है,
अमेरिका और चीन अपनी रोटी सेंक रहे है,
मीडिया को नया मसाला मिल गया है,
भारत में चाय के नुक्कड़ पर बहस का नया विषय है,
कुछ को उन देशों से कोई मतलब भी नही है,
लेकिन एक मिनट के लिए सोचिये,
यहाँ कोई ना कोई जीतेगा ज़रूर,
लेकिन जो हारेगा वो हारेगी "इंसानियत"..

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6 OCT 2023 AT 15:19

कोई पूछे मेरे बारे में तो बता देना,
उसे मेरे दिल का पता देना,
बता देना मैं निकम्मा था, नकारा था,
हर बाज़ी जीत के भी हारा था,
बता देना भीड़ से वो अलग ही खड़ा था,
अपना रास्ता उसने अकेले ही तय करा था,
मतलबी बड़ा था, झूठा था मैं,
गुस्सैल बहुत, अपनों से रूठा था मैं,
कुल मिला कर तीन ही तो उसके यार थे,
कहने को यूँ तो दोस्त हज़ार थे,
कभी दिल किसी का तोड़ता नही था,
साथ चलता था, बीच में छोड़ता नही था,
कह देना किसी के काम आ ना सका वो,
इश्क़ भी पूरा निभा ना सका वो,
आँखे भरी रहती थी, आँसू एक कभी न छलकाया,
खुद भी हँसता रहता था, दूसरो को भी था हँसाया,
मेरी अच्छाई-बुराई सब कुछ उनको बतलाना,
ये सब कहते कहते तुम भी थोड़ा मुस्कुराना।।

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